जब तक टैक्सपेयर को यह पता चलता है कि उसने आईटीआर फाइल करने में कोई गलती कर दी है और वह उसे सुधार पाए, उससे पहले ही आयकर विभाग आईटीआर को प्रोसेस कर के रिफंड भेज देता है. ऐसे में करदाता को अपनी गलती सही करने का मौका ही नहीं मिल पाता.
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